गौरी की शादी मैं जाने का था उत्साह ,
मन में था खुिशयँो ही खुिशयँो का भराव
देवरजी को देखा जब मुस्कुराते हुऐ एयरपोर्ट पर,
गर्व और उमंग से उठ गया हमारा सर ।
पहुँचे जब हम देवरानी के घर ,
चैहिरा खिल उठा आगमन की तैयारी देख कर,
बहुत अछा लगा सब से प्यार से गले. िमल कर ,
मन गाने लगा ,दिल में उठ गयी ख़ुशी की लहर ।
मिला सारा परिवार इस शुभ अवसर पर ,
ख़ूब बातें करी सब ने जी भर कर,
शािपंग और सैर सपाटे सब हुऐ संग संग ,
सब को चड गया था ऐक अजीब ख़ुशी का रंग ।
हमारी प्यारी बिटिया गौरी होने वाल ी थी पराई
जब गौरी से अरपित के बारे में पूछा ।
पहिले तो वो थोड़ा सा शरमाई ,
औरि िफर हलके हलके से मुसिकराई ।
हल्दी से िनखर गया था गौरी का चैहरा ,
प्यार और िपया का रंग चढ़ गया था गैहरा,
मैैहंदी की ख़ुशबू से सज गये पाँव और हाथ,
अरपित का नाम भी छुपा हुआ था उसके साथ ।
संगीत भरी सन्ध्या में झूम उठे हम,
ख़ूब नाचे और गाए जब तक था दम में दम ,
सखियाँ , ताई, चाची ,बुआ, मामी, मौसी, माँ सब ने घूम मचाई ,
दुल्हन के नाच पर तो सीटी भी भजी हाय हाय ।
सुनदर दूल्हा था सजी हुई घोड़ी पर सवार,
मनमोहिनी दुल्हनियां आई पालकी में दिल में लेकर क़रार ,
जयमाला का दर्श था अदभुत , सुन्दर और न्यारा ,
सारे अतिथियों को लगा बहुत ही प्यारा ।
पवित्र अग्नि के चारों और जब सात फेरे लिए ,
शादी के अटूट बंनदन में दोनो बन्द गऐ,
सात वचन निभाने की ली दोनो ने शपथ,
मिलकर समझदारी से चलाएँगे ज़िन्दगी का रथ ।
आँखे भर आंई जब आया बिदाई का पल,
बाबुल के घर की प्यारी बिटिया हो रही थी ओझल,
दुआएँ सब की लेती जा बिटिया रानी,
ससुराल में घुल जाना जैसे शकर में पानी ।
जब आया हमारे जाने का समय ,
बहुत बुरा लगा ,रोने लगा ह्रदय ,
अब फिर सब से बिछड़ रहे थे हम,
जाने कब परदेस से िफर आ सकेंगे हम ।